नारी
नारी
कभी धूप कभी छांव सी तू ,
कभी आग कभी शबनम सी तू ।
कभी बाढ़ कभी शांत पानी सी तू ,
कभी आंधी कभी मंद हवाओं सी तू ।
कभी सख़्त पत्थर कभी मोम सी तू ,
कभी काँटों कभी कोमल फूल सी तू ।
कभी काली कभी ममतामयी सी तू ,
कभी बंजर कभी हरिता से पूर्ण सी तू ।।