नारी की जलन
नारी की जलन
ऐश्वर्य भरी नारी कोई
नारी को होता जलन रहा
नारी के ही कारण केवल
नारी का होता हरण रहा।।
है शक्ति हीन नारी यदि तो
केवल नारी का हाथ रहा
दुष्कर्म हुआ नारी का यदि
नारी के खुद का साथ रहा।।
यदि सास बनी नारी कोई
बहुओं पर अत्याचार रहा
ननद बनी बैठी नारी
फिर प्रजावती में सार रहा।।
हो गयी अगर निन्दित नारी
केवल उसका स्वभाव रहा
नारी के कारण नारी में
निशदिन होता घाव रहा।।
अबला तुम थी अच्युत बल पर
तुमसे ही अबला नाम पड़ा
हो गया क्षीण यदि बल तेरा
केवल तेरा इल्जाम रहा।।
