STORYMIRROR

Garima Kanskar

Drama Tragedy Action

3  

Garima Kanskar

Drama Tragedy Action

नारी ही नारी की दुश्मन

नारी ही नारी की दुश्मन

1 min
453


जब तक नारी ही नारी की दुश्मन है

तब तक काहे का कोई मनाये महिला दिवस

महिला ही महिला को देती है बाँझ होने का ताना

उसकी बेबशी को बनाती है निशाना

तब तक काहे का कोई मनाये महिला दिवस

खुद महिला होकर बेटे के लिये बेटियों को कोख में मारने एक महिला ही महिला को करती है

मजबूर तब तक कोई क्यो मनाये महिला दिवस एक महिला ही दहेज की आग में झौक देती है

तू मेरी हर धड़कन में है

महिला दिवस महिला ही महिला के साथ नही महिला ही महिला के खिलाफ है

तब तक नही मिलेगा कोई सम्मान होता आया है होता रहेगा

अपमान महिला को महिला के साथ होना होगा

तब सही मायनों में होगा महिला दिवस


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama