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Garima Kanskar

Drama Tragedy Action

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Garima Kanskar

Drama Tragedy Action

नारी ही नारी की दुश्मन

नारी ही नारी की दुश्मन

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जब तक नारी ही नारी की दुश्मन है

तब तक काहे का कोई मनाये महिला दिवस

महिला ही महिला को देती है बाँझ होने का ताना

उसकी बेबशी को बनाती है निशाना

तब तक काहे का कोई मनाये महिला दिवस

खुद महिला होकर बेटे के लिये बेटियों को कोख में मारने एक महिला ही महिला को करती है

मजबूर तब तक कोई क्यो मनाये महिला दिवस एक महिला ही दहेज की आग में झौक देती है

तू मेरी हर धड़कन में है

महिला दिवस महिला ही महिला के साथ नही महिला ही महिला के खिलाफ है

तब तक नही मिलेगा कोई सम्मान होता आया है होता रहेगा

अपमान महिला को महिला के साथ होना होगा

तब सही मायनों में होगा महिला दिवस


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