नामुकम्मल दास्ताँ
नामुकम्मल दास्ताँ
कहानियों में जी रहे हैं कुछ किरदार आज भी
बिना जुर्म सजा काट रहे कुछ गुनाहगार आज भी
उन्हें खबर है जिंदगी ना बख्शेगी हजारों मिन्नतों बाद भी
न एक कतरा बदले में हासिल होगी चाहत जिल्लतों बाद भी
फिर भी दुआ करते रह जाते बस यादों में जीते रह जाते
कहानियों के मरहम लगा के सच्चाई की चुभन सह जाते
काफ़िलों से डर जाए तो तन्हाई के दर जाते हैं
उड़ के इस जहाँ से मन ही मन में न जाने किधर जाते हैं
ढूंढने से भी मिलते नहीं उनके वजूद के बिखरे निशान कहीं
कहानियों में ही खो गई उनकी नामुकम्मल दास्तान कहीं