Shailaja Bhattad

Abstract

4.5  

Shailaja Bhattad

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रंगीली ऋतु

रंगीली ऋतु

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बूंदें सावन की रही पुकार

घटा घनघोर रिमझिम फुहार। 

नाचे मोर झूम-झूम

रंगीली ऋतु में त्योहारों की मची है धूम ।

धुली धुली धवली चांदनी

तारों की झिलमिल से सजी मेरी बांधनी। 

बागों में इठलाते झूले

राग मल्हार में ता ता थैय्या करते ,

मौसम ने ली है क्या खूब करवट। 

इंद्रधनुषी चादर ओढ़े बज रही है सरगम।


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