हिलोरें लेते हुए प्रेम के सागर में, कृष्ण नगरी जैसा कोई था धाम हो। हिलोरें लेते हुए प्रेम के सागर में, कृष्ण नगरी जैसा कोई था धाम हो।
बूंदें सावन की रही पुकार घटा घनघोर रिमझिम फुहार। बूंदें सावन की रही पुकार घटा घनघोर रिमझिम फुहार।
पर इन बातों से उस अनजाने को क्या,वो एक बंजारा, जो अलबेला सा अकेले झूमता था, पर इन बातों से उस अनजाने को क्या,वो एक बंजारा, जो अलबेला सा अकेले झूमता था,