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Bhawna Panwar

Abstract

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Bhawna Panwar

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प्रकृति का अहसास निराला हैं.

प्रकृति का अहसास निराला हैं.

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प्रकृति का अहसास निराला हैं,

स्पर्श किया हैं मेरे हदय ने।


इन हवाओं की सैर सराहत को,

इन समुन्दर के लहरो के शोर को,

इन रातो की शीतल हवाओ को,

इन फागुन की लताओं को,

इन तारो की जिग्मिगहट को,

इन फूलों की खिलावट को,


आखिर स्पर्श किया हैं मेरे हदय ने

प्रकृति का अहसास निराला हैं।


इन नदियो में कलकल करते पानी को,

इन पक्षियों की मधुर ध्वनियों को,

इन पर्वतो में डराती आवाज़ को,

इन हवाओं में पतंगों को,

इन पौधों में खिलती पत्तियों को,


आखिर स्पर्श किया है मेरे हदय ने

प्रकृति का अहसास निराला है।


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