सोच के देखो !
सोच के देखो !
बस सोच के देखो
मां की हँसी, और बाप का सहारा
बेशक कहोगे, बनगया दिन हमारा।
बस सोच के देखो
मां का समझाना, और बाप की सच्ची बाते
बेशक कहोगे, हा हम जग जीते।
बस सोच के देखो
मां की ममता और बाप का घुस्सा
बेशक कहोगे, हा याद आया वो प्यारा किस्सा।
बस सोच के देखो
मां का सेहलाना, और बाप का छूपके प्यार जताना
बेशक कहोगे, अरे यार ये भी क्या लम्हा था ना,
बाप के डांट में भी क्या प्यार था ना
सहलाना भी उसका क्या अजीब है ना,
जभी सोचूँ जन्नत सा सुकून था ना।