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Jadhav Akshay Dattatray Shashikala (PGDMF1 19-21)

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Jadhav Akshay Dattatray Shashikala (PGDMF1 19-21)

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मां

मां

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ए मां लिखू भी क्या तुझपे में

कहना तो बहुत कुछ है

पर शुरू कहां से करूं मैं ।।


दिनभर की थकान में , सुकून की नींद है तू,

भूके पेट की आवाज़ भी , मुझसे तेज सुन लेती है तू,

हा कभी कभी बिनकहे, बोहोत कुछ केह देती है तू

दो रोटी मांगू , तो चार परोस देती है तू ।।


सलाम है मां तुझे , जो तू हर गम सह लेती है

शायद इतनी शक्ति , उस भगवान में भी ना होती है ,

आंच आए मुझपे , तो पहले तू आती है 

पैरों पे खड़े रहना , तू ही तो सिखाती हैं ।।


तुझसे ही शुरूवात मेरी ,

तुझसे ही दुनिया आबाद मेरी 

मेरी खुशी में छुपी दुआ तेरी

मेरे संस्कारो में छुपी बोली तेरी !


खामोशी भी मेरी ,कैसे समझ लेती है तू 

यूहीं नहीं रब से भी,उपर मानी जाती है तू ,

सहमपन को भी मेरे, सुकून में बदलती तू 

देखा जो तुझे ,तो जन्नत सी लगती तू !


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