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Jadhav Akshay Dattatray Shashikala (PGDMF1 19-21)

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Jadhav Akshay Dattatray Shashikala (PGDMF1 19-21)

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दस्तक

दस्तक

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हर आँख नम हो जाती है

हर दिल ये रो पड़ता है

न जाने क्यों कोई अपना सा, दूर होने लगता है

जब कोई ख़बर सरहद से, घर दस्तक दे जाती है !


न जाने क्यों उस मां की, धड़कन रुक सी जाती है

न जाने क्यों उस बहन को, अपनी राखी याद आ जाती है

जब कोई ख़बर सरहद से, घर दस्तक दे जाती है !


न जाने क्यों खिला सा ये समा, मातम बन जाता है 

न जाने क्यों ये ख़ुशियाँ, ग़म में तब्दील हो जाती है 

न जाने क्यों खिला सा आसमां, काला सा पड़ जाता है 

जब कोई खबर सरहद से, घर दस्तक दे जाती है !


न जाने कितने सपने, अपनों से परे हो जाते है 

न जाने क्यों सारे ख़्वाब पल में बिखर जाते हैं

न जाने कितनों की यादें, बस यादों में ढाल जाती है 

जब कोई खबर सरहद से, घर दस्तक दे जाती है !


क्यों घर की दीवारें अब सुनी सी लगती है 

क्यों सुहागन की मांग अब अधूरी सी लगती है 

सलाम है उस मां को, जो गर ग़म सह लेती है

शायद इतनी शक्ति उस भगवान में भी ना होती है !


लो मान लिया जवानों को, जो न जान की फ़िक्र करते है

पर मां की याद आने पर, ये बच्चों जैसे रोते है ,

खुशनसीब है वो मां जिसका बेटा सरहद पर है 

पर ये मां भी कमजोर हो जाती हैं

जब कोई खबर सरहद से ,घर दस्तक दे जाती है !


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