अंधविश्वास
अंधविश्वास
विश्र्वास कैसे दिलाऐ, हे दुनिया झुठी है!
अंधकार फहेला हुआ घर घर मैं
सब सुना-सुनासा लगता दिल मैं
शिक्षीत, बने अग्यानी, हुआ अंधकार महाग्यानी
लगें रहो पाखंडी के और, करो खुद की मानहानी
कैसे बताये इंसान को, अंधविश्वास एक बीमारी है
जीवन बिखरा इस घडी मैं
इनसान ठुकरा अंधियारी मैं
चलने की रहा पें, सच की और बढो
प्रगति इस देश की, विग्यान के और जुडो
अंधेरा को मिटाने वाला, सुरज बडा सुनेहेरा है
अंधविश्वास पागलपण है
आत्मविश्वास खुदकी सफलता है
पाखंडी की काली वाणी
भुरी हरकत पें, मजबुर इनसानी
समजना पाये इनसान खुद को, क्या परेशानी है
काला पत्थर, रंग चढावा, अंधा, धंदा है
ढोंगी बाबा करे कावा, हो बडे लुटेरा है
जड से मिटाओ, ढोंगी फसल को
दिखाई ना दे किसी को
आत्मग्यान सें ध्यान करो, पता करो भगवान कहां है।