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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

सन्तुष्टता का संस्कार

सन्तुष्टता का संस्कार

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अनुभव करते सभी अपनी जिन्दगी में अभाव

इसीलिए पथरीला हो गया इंसान का स्वभाव


चाहतों का सिलसिला ना लेता रुकने का नाम

भौतिकता की दौड़ में बन गया हर कोई नादान


नैतिकता का मिट गया जीवन से नाम निशान

इसी महा संक्रमण से ग्रसित हो गया हर इंसान


अन्तर्मन की संवेदना बनी है सूखा एक तालाब

भावना भरे शब्दों से हर मन की खाली किताब


ओज नहीं चेहरे पर केवल लालच ही झलकता

अपने स्वार्थ के पीछे मानव कितने रंग बदलता


मातम छाया मन के अन्दर मुखड़े सबके उदास

अपूर्ण इच्छाओं के कारण दिखते सभी निराश


भौतिकता सुख ना देगी इसके पीछे मत जाओ

सच्ची शान्ति के लिए खुद को सन्तोषी बनाओ


जो कुछ तुम्हें मिला उसको सहर्ष करो स्वीकार

जीवन को सुखी बनाएगा सन्तुष्टता का संस्कार



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