लौट चले कीचड़ मिट्टी की ओर महंगे जूतों को अलविदा कर आए लौट चले कीचड़ मिट्टी की ओर महंगे जूतों को अलविदा कर आए
रहूं निर्मोही ये बस में नहीं रहूं निर्गुण ये कर न पाता रहूं निर्मोही ये बस में नहीं रहूं निर्गुण ये कर न पाता
टूटी जब संस्कारों की माला मानस मोती सब बिखर गए टूटी जब संस्कारों की माला मानस मोती सब बिखर गए
हर मोड़ गली नुक्कड़ से गुज़र कर जाना है। हर मोड़ गली नुक्कड़ से गुज़र कर जाना है।
आत्मा रूपी सरोवर में खिलते हैं ... सुकून के पल यथार्थ में मिलते हैं आत्मा रूपी सरोवर में खिलते हैं ... सुकून के पल यथार्थ में मिलते हैं
कर्मातीत अवस्था को तुम आत्मसात कर पाओगे। कर्मातीत अवस्था को तुम आत्मसात कर पाओगे।