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Jaya Tagde

Abstract

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Jaya Tagde

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मृत्यु अटल है

मृत्यु अटल है

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जीवन खट्टा मीठा अचार

कभी परेशान कर दे

कभी रहे उदार

मीठा लाए जीवन में बहार

खट्टा देख दुखी हो संसार

जन्म कर्म की हे पाती

समझ भी आए 

और समझ भी न पाती


रहूं निर्मोही 

ये बस में नहीं

रहूं निर्गुण 

ये कर न पाता


भौतिकता ने उलझा दिया

दुर्गुणों का अंबार लगा दिया

समय भी यू ही गवा दिया

बिदाई का समय पास आया

कुछ भी साथ न ले पाया

मन ममोस के रह गया

सब कुछ यही छोड़ गया

जीवन की कीमत पहचानता था

मृत्यु अटल हे जानता था

इस सत्य को पहचानता था

जानकर भी अनजान हुआ

मुफ्त में परेशा हुआ


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