नादान
नादान


किसी और का नाम उनकी मेहंदी में लिखा था,
किसी और का रंग उनकी रूह पर चढ़ा था।।
ए दिल मेरे ज़रा काबू रख,
हालात ने कहा मुझसे जज्बातों को ज़रा हद में रख।।
उनकी महफ़िल में हम बस मेहमान बन गए,
मैं आज भी वही हूं पर शायद वो अब बदल गए।।
मुझे सामने देख कर वो अनदेखा कर रहे है,
देखो ज़रा किस क़दर हमसे आंखें चुरा रहे है।।
अपना एक आँसू भी उनकी महफ़िल में मैंने गिरने ना दिया,
उनको दुआएँ दे कर मैं अपनी राह चल दिया।।
ना जाने ऐसा क्यों होता है,
इतने ज़ख्म पा कर दिल आज भी उसके लिए धड़कता है।।
उनके लिए गीत हजारों लिखे थे,
इस नादान दिल ने ख्वाब हजारों बुने थे।।
कल तक जो मेरा महबूब था,
वो आज किसी और का हमसफ़र था।।
शायद यही ज़िन्दगी है,
दर्द और खुशी शायद यही ज़िन्दगी है।।
मेरी तन्हा शामें अकसर मुझसे सवाल करती है,
मेरे होंठों पर हँसी और दिल में दर्द की गूंज क्यों होती है।।
खैर अब हमारी राहें अलग है,
इस दिल में उनके लिए ना कोई एहसास ना कोई तड़प है।।
उसकी फिक्र तो मुझे आज भी है,
उसकी कमी तो ज़िन्दगी में आज भी है।।