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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance

ना जाओ सनम

ना जाओ सनम

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सौत के साथ ना जाओ सनम,

तुम्हारे बिना नहीं लगता है मन।

प्यार किया मैंने दिल से सनम,

बंधन निभाऊंगी सातों जनम।

मैं क्या करूं दिल माने नहीं,

लागी लगन तुमसे मेरे पिया।

मन को मनाया मगर क्या करूं,

तुम्हारे बिना अब ना लागे जिया।

सांसो में मेरी बसे हो सनम,

दिल में धड़कते हो महबूब तुम।

डरते हैं तुमको ना खो दूं बलम,

बेचैन रहते हैं रातों को हम।

दिल का लगाना गुनाह तो नहीं,

मोहब्बत है दुनिया में सबसे बड़ी।

पा ना सके यह  सजा क्यों मिली,

मेरी किस्मत भी किस्मत की मारी खड़ी।

इश्क के रंग में डूबकर जोगणी,

करती है वादा यह तुमसे सनम।

जो तस्वीर दिल में तुम्हारी सजी,

अब ना हटेगी वह सातों जनम।।



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