मुस्कान
मुस्कान
क्या पता वो मुस्कान थी
या कुछ और
पाने की चाहत
या बस सुकून की राहत।
जानने की कोशिश तो मैंने की
पर समझ ने मेरी साथ न दी।
चेहरे को गौर सेेेे देेेखा
हैरान सी ललक दिखी,
और ध्यान दिया
अनजान सी चमक दिखी
देखना न चाहा
लेकिन फिर भी दिखी।।
कदम बढे, करीब थी वो
मानो मेरे ही तलाश में थी वो।।
