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Shreya Rai

Romance

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Shreya Rai

Romance

देखो मुरझा न जाए

देखो मुरझा न जाए

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है कोमल सी वो बहुत नाज़ुक

छूने तक को डर लगे

संभाल के रखना, दूख हुआ उसको

तो आत्मा मेरी भी जगे।

कुछ खोयी, कुछ अनजानी सी

दुनिया से दूर, हरकतें नादानी सी।

कोई दुःख है या गम

या शायद बस मेरा ही भ्रम

चलती राहों में रूक सी जाती है

पास जो जाओ सहम सी जाती है।

दिन तो मेरे कटे निहारने में उसको

भला उसकी बातें बताऊं मैं किसको

आज के लिए इतना काफी था

फिर कभी होगी इसी पर चर्चा 

इसी पर बातें बशर्ते होती रहें 

अपनी मुलाकातें।।



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