वो चेहरा
वो चेहरा
देखा जो तुमको थम सी गई
मेरी रूह ने मुझपे ही रहम की
और आगे बढ़ने को दिल नेे भी इजाजत दी।
मन किया उस छण को वहीं रोक दूं
समय अपने बस में हो तब तो कुछ करूूं
लेकिन उस पल को मैंने ऐसे ही जाने दिया
अगले दिन का बेसब्री से इंतजार किया।।
आखिर हुआ वहीं जो होना था
मैं आगे बढ़ी, रूकी, फिर रूक सी गई
बस सोचते हुए खुद में खुद से उलझती गई ।।
जहन में शांति, मन में हलचल थी
समां ही ऐसा था न होश था न मैं वश में थी।
बस उस चेहरे की तालाश हमेेशा रहती है
आंखों से ओझल होकर भी कुछ खास है
मानों ऐसा लगे हरपल मेरे ही आस- पास है।।

