मेरी एक गलती
मेरी एक गलती
गलती- ये शब्द सुनते ही झनकार होती है
मानों अंदर ही अंदर एक ललकार होती है
किया है तूने ही, दूर क्यों जा रही
ऐ भूल तू अभी भी क्यों सता रही।
मुझे हटना है उससे जो मुझे तड़पाए
मेरे खुुद के रगों को ही आजमाए
नया सिरा तो दिखााओ मुझे
पश्चाताप का रास्ता भी तो बताओ मुझे।
बस दोहराना नहीं है जो हो चुका
क्योंकि मेरा बहुत कुछ है खो चुका।।
