मुझमें है तू
मुझमें है तू
तेरे जाने से लगा था
रीत गई हूं मैं...
कुछ भी तो नहीं है बाकी....!!
पर ये कागज़ पर उतरी
कविताएं हैं ना...
कहां झूठ बोलती हैं...
मुझमें कहीं बहुत गहरे
बस गया है तू.....!!!!
तेरे जाने से लगा था
रीत गई हूं मैं...
कुछ भी तो नहीं है बाकी....!!
पर ये कागज़ पर उतरी
कविताएं हैं ना...
कहां झूठ बोलती हैं...
मुझमें कहीं बहुत गहरे
बस गया है तू.....!!!!