मुझे फिर मुस्कुराने नहीं दिया
मुझे फिर मुस्कुराने नहीं दिया


कुछ दर्द तुमने दिए
कुछ ज़माने ने दिया
नारी थी.....
इसी लिए किसी ने मुझे फिर मुस्कुराने नहीं दिया !!
बीते हुए ज़खमो पे मलहम लगाने नहीं दिया
ये समाज था ....
जिसने मुझे अतीत को दफनाने नहीं दिया !!
मुझे नया संसार बसाने नहीं दिया
दो बच्चो की मां थी ना .....
इस लिए चरित्र - हीन कहकर मुझे सर उठाने नहीं दिया !!
पुरूष की बराबरी में मुझे आने नहीं दिया
पुरूष बन खर्चा उठाने नहीं दिया
विधवा थी ना ......
इसी लिए घर से बाहर जाने नहीं दिया !!