खुद से बेईमान थी मै!!
खुद से बेईमान थी मै!!
जब मुझे उसकी जरूरत होती है
तो मेरे पास नहीं रहता वो
जब मेरी भावनाओं को हाथ चाहिए
तो साथ नहीं रहता वो
खुद से बात कर कर थक गई हूं मैं
की वो आयेगा ।
थोड़ा और सही...
मेरे जाने के बाद आ गया तो !
यार उसे देखे बिना नींद नहीं आती,
जानता है वो ...
आयेगा वो....
खुद के इन झूठे दिलासों से थक गई हूं मैं
रात गुजर गई उसके इंतजार में ....
और इंतज़ार के साथ साथ
उम्मीद का सूरज भी डूब गया मेरा
उसकी एक किरण तो दिखी थी
पर वो भी दीप बुझ गया मेरा।
जहाँ दुनिया के लिए सूरज की
किरण छा रही था
वहीं मेरी उम्मीद की किरणें
डूबती जा रहा थी
जहाँ दुनिया सवेरे से आँखो को भर रही थी
मेरे दिल में अंधकार का बादल छा रहा था
अपनी ही उम्मीद को इस तरह टूटता देख
परेशान थी मैं
जब मुझे उसकी जरूरत थी
खुद से बेईमान थी मैं!!!!