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Sonam Gupta

Abstract

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Sonam Gupta

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80 वर्ष की आयु 14 वर्ष का जीवन

80 वर्ष की आयु 14 वर्ष का जीवन

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फिर बचपन मे जा रही हूँ,

जवानी में समाज का डर ,

बुढ़ापे में घरपरिवार का 

सबको दूर भगा रही हूँ

मै एकबार फिर बचपन में जा रही हूँ

फिर कागज की कश्तियों को गंगा में बहा रही हूँ

बनारस की गलियों में सुगन्ध सी इठला रही हूँ

मैं एकबार फिर बचपन में जा रही हूँ ,

स्क्रात की मिठाईयां बाटने घर घर जा रही हूँ

पड़ोस की मीठी को बुला बनारस के घाटों पर चकर लगा रही हूँ

उस मनमोहक आरती में मुग्ध होकर शिव के भजन गा रही हूँ

मैं एकबार फिर बचपन में जा रही हूँ ,

मां से दू रुपिया ले पिता से पाँच आना

दादी से भूख लगी है कह , घर से भाग जाना 

बनारस की गलियों में जा चाट पकोड़े खाना 

एक बार फिर बचपन को यू दोहराना 

भादो के माह में घाट का पानी का बढ़ जाना

घन घन मेघाओ का शोर मचाना

बचपन में एकबार फिर यू जाना 

मोक्ष द्वार आए श्रद्धालुओं को देख 

जीवन में गंभीर हो जाना 

क्या लेकर आए है क्या लेकर जायेगे कह 

ठंडे जल में डुबकी लगाना 

बचपन के दिनों में फिर लौट जाना 

दादी मां कहकर मेरी पोती का पुकारना 

वासविकता से मेरा अनुभव करना 

धुंध से बीते हुए पलो में कुछ समय के लिए ही सही मेरा उनमें जाना

बचपन को पुनः व्यतीत कर आना 

80 वर्ष की आयु में 

14 वर्ष की राधिका का जीवन बिताना

सुनहरी किरण - सा है!


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