मुझे माफ़ कर देना माँ
मुझे माफ़ कर देना माँ


मुझे माफ़ कर देना माँ ,
अब मैं घर वापिस नहीं आऊंगा।
तिरंगे की चादर में लिपटा है,
मेरा तन कुछ पल पहले ही।
अफसोस है मेरा हर राज,
अब तुझसे बता नहीं पाऊंगा।
मेरे दुश्मनों की चाल थी,
या अपनों का फरेब था।
मेरी मौत की अनसुलझी पहेली,
को अब सुलझाने ना पाऊंगा।
लेकिन आजाद भारत का
आजाद सवेरा खुलकर देख ना पाऊंगा।
मैं आज भी आजाद हूँ ,
मैं कल भी आजाद रहूंगा।
मुझे फक्र है कि तेरी कोख से
पैदा होने का अवसर मिला।
उम्मीद है हर जन्म में
बस तेरी मिट्टी में ले आऊंगा।