कुछ बुरी आदतें होते हुए भी
कुछ बुरी आदतें होते हुए भी
कुछ बुरी आदतें होते हुए भी
नजर नहीं आती हैं।
वक्त पर बदल जाए
या वक्त को ही बदल देती हैं।
मैं शामो सुबह बड़े शौक से रहता था
उन्हें मैं जिदंगी के एब कहता था।
कुछ एब में मेरे फरेब भी शामिल थे
पर उन्हें मैं मेरी मासूमियत कह देता था।
मैं जानकर भी अनजान बैठा था
खुद की गलतियां पहचान बैठा था।
सुधारने की कोशिश भी कई मर्तबा की
आग़ लगे तेरे इन पैसों में,
हमें माँ-बाप से जो दूर करे !