तुम उम्मीदों के पर कतरते रहो
तुम उम्मीदों के पर कतरते रहो
तुम उम्मीदों के पर कतरते रहो,
जीत के जज़्बात क्या समझोगे।
हिम्मत की धुन को बेसुरी करने वाले,
हिमाकत की ओकत क्या समझोगे।
देख लिया तुम पर बहुत यकीन करके,
तुम भरोसे की ताकत क्या समझोगे।
तेरे हाल को देख हम जमकर आंसू बहाकर आए हैं,
अब वही हम पर बीत रहे वो हालात क्या समझोगे।