Yashwant Nagesh
Classics
कुछ पाए कुछ खोए,
कुछ भूले कुछ याद रहा।
जिन्दगी का हर एक लम्हा,
खुद में ही आबाद रहा।
कभी गम तो कभी खुशी,
कभी दर्द तो कभी दवा का हाथ रहा।
मीठी सी मुस्कान में भी,
नमकीन आँसुओं सा स्वाद रहा।
माँ -बाप
तुम उम्मीदों ...
एक खिलाड़ी
कुछ पाए कुछ ख...
स्वतंत्रता से...
मुझे माफ़ कर ...
बेशक मैं तुमस...
नशा मत करना
कुछ बुरी आदते...
उसका होना महज...
प्रेम करना सरल है परन्तु जीवन भर प्रेम करना कठिन है। प्रेम करना सरल है परन्तु जीवन भर प्रेम करना कठिन है।
मां और बाबा एक आधार हैं हमारे। मां और बाबा एक आधार हैं हमारे।
खुशियों का ठिकाना होता है वहां जहा पूरा अपना परिवार हो... खुशियों का ठिकाना होता है वहां जहा पूरा अपना परिवार हो...
ग़रीब , पिछड़ा, दलितों का मर्म को भेद कर अपनी सत्ता को हासिल करता राजनेता….. l ग़रीब , पिछड़ा, दलितों का मर्म को भेद कर अपनी सत्ता को हासिल करता राजनेता….. l
अपने शौक से प्यार करो, अपने लक्ष्य से प्यार करो। अपने शौक से प्यार करो, अपने लक्ष्य से प्यार करो।
जो छुपते हैं पर्दे की आड़ में ऐसे डरपोक की वही सजा है।। जो छुपते हैं पर्दे की आड़ में ऐसे डरपोक की वही सजा है।।
अच्छा बुरा हर सफर प्यारा अपने गम में भी। अच्छा बुरा हर सफर प्यारा अपने गम में भी।
सीढियां चढ़नी यहाँ सबको ही है मगर पहुँच रहा शीर्ष वही जिसके पैर और हैं। सीढियां चढ़नी यहाँ सबको ही है मगर पहुँच रहा शीर्ष वही जिसके पैर और हैं।
भारत रत्न तो थी ही वो पर विश्व रत्न था कण्ठ मे उनके। भारत रत्न तो थी ही वो पर विश्व रत्न था कण्ठ मे उनके।
सर झुकाकर सलाम करने में कौन सा गुनाह लिख रखा है ? सर झुकाकर सलाम करने में कौन सा गुनाह लिख रखा है ?
हर किसी की इच्छा, हम भी स्वाद चखें। हर किसी की इच्छा, हम भी स्वाद चखें।
स्मृतियों के मंदिर विरह की आरती मन निर्भय न शांत बस अपना ही दुख। स्मृतियों के मंदिर विरह की आरती मन निर्भय न शांत बस अपना ही दुख।
बहुत उदास है आज ये मन पैर पसार रहा खालीपन। बहुत उदास है आज ये मन पैर पसार रहा खालीपन।
पर समझता वही है जिसने, खुद चोट खाया है।। यकीनन मुश्किल है बहुत। पर समझता वही है जिसने, खुद चोट खाया है।। यकीनन मुश्किल है बहुत।
उनका नाम है श्री 'नील माधव पंडा ... वो ज़मीन पर पडी राख को, आसमां पर रखता है .. उनका नाम है श्री 'नील माधव पंडा ... वो ज़मीन पर पडी राख को, आसमां पर रखता है ....
फैली है चारो तरफ, जन जन में जो दूरी आपसी ईर्ष्या द्वेष, तू ही जरा कम कर दे। फैली है चारो तरफ, जन जन में जो दूरी आपसी ईर्ष्या द्वेष, तू ही जरा कम कर दे।
लिख दे तु मेरा हमसफ़र उन्हें ख़ुदा तो जिंद़गी बदल जाएं। लिख दे तु मेरा हमसफ़र उन्हें ख़ुदा तो जिंद़गी बदल जाएं।
प्रथम जन्म लिया मंधाता ने, देवराज सुरेश को पराजित किया। प्रथम जन्म लिया मंधाता ने, देवराज सुरेश को पराजित किया।
जो व्यवसायिक जीवन में मेरे काम आते हैं। जो व्यवसायिक जीवन में मेरे काम आते हैं।
वेद की वर्णमालाओं में उलझा एक पाँचवा वेद, प्रेम वेद। वेद की वर्णमालाओं में उलझा एक पाँचवा वेद, प्रेम वेद।