Yashwant Nagesh
Classics
कुछ पाए कुछ खोए,
कुछ भूले कुछ याद रहा।
जिन्दगी का हर एक लम्हा,
खुद में ही आबाद रहा।
कभी गम तो कभी खुशी,
कभी दर्द तो कभी दवा का हाथ रहा।
मीठी सी मुस्कान में भी,
नमकीन आँसुओं सा स्वाद रहा।
माँ -बाप
तुम उम्मीदों ...
एक खिलाड़ी
कुछ पाए कुछ ख...
स्वतंत्रता से...
मुझे माफ़ कर ...
बेशक मैं तुमस...
नशा मत करना
कुछ बुरी आदते...
उसका होना महज...
तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ। तुझमें तेरी होकर रहती, मैं तेरे भीतर की नारी हूँ।
क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उठेगी? अब तुम्हारा र... क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उ...
मां मैं तेरी गीत गाऊं। मां मैं गाथा तेरी जगत सुनाऊं।। मां मैं तेरी गीत गाऊं। मां मैं गाथा तेरी जगत सुनाऊं।।
गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो। गुलमोहर तू यह तो बता सिन्दूरी बन क्यों बसते हो।
तब ज़माना बदलेगा तब आधुनिक कहलाएंगे। तब ज़माना बदलेगा तब आधुनिक कहलाएंगे।
बनो जागरूक देश के वासी अपने देश की रक्षा करो। बनो जागरूक देश के वासी अपने देश की रक्षा करो।
जीवन के हर पथ पर बेटी सौभाग्य तुम्हारा बना रहे। जीवन के हर पथ पर बेटी सौभाग्य तुम्हारा बना रहे।
हार गए हो चीन से, सन बासठ का युद्ध त्याग सिंहासन नेहरू, बन सन्यासी बुद्ध हार गए हो चीन से, सन बासठ का युद्ध त्याग सिंहासन नेहरू, बन सन्यासी बुद्ध
संवेदना में सुलगता अंदर उबाल मिला "उड़ता"आते वक़्त में आगे काल मिला। संवेदना में सुलगता अंदर उबाल मिला "उड़ता"आते वक़्त में आगे काल मिला।
मां, ममता की मूर्ति, त्याग की मूर्ति होती है मां। मां, ममता की मूर्ति, त्याग की मूर्ति होती है मां।
सम्राट सुरों का रफ़ी, अजब-ग़जब फ़नकार रब का आशीर्वाद है, रब का है उपहार सम्राट सुरों का रफ़ी, अजब-ग़जब फ़नकार रब का आशीर्वाद है, रब का है उपहार
नहीं बर्दाश्त होती मुझसे और ख़ामोशी आवारा, न सुन सकेगी तू, और न कहने की कोई वजह है। नहीं बर्दाश्त होती मुझसे और ख़ामोशी आवारा, न सुन सकेगी तू, और न कहने की कोई व...
"आत्मा की आँखें " कैसे ना खुलेगी । पत्थर भी पानी हो जाता है। "आत्मा की आँखें " कैसे ना खुलेगी । पत्थर भी पानी हो जाता है।
देख कर गंदी सियासत आज-कल अब मुसाफ़िर बेकली होने लगी। देख कर गंदी सियासत आज-कल अब मुसाफ़िर बेकली होने लगी।
जग जननी जग कल्याणी मातारानी जग जननी जग कल्याणी मातारानी
शुद्धात्मा को जानकर तजी सम्पदा षट्खण्ड की, तृणसम निरर्थक मानकर। शुद्धात्मा को जानकर तजी सम्पदा षट्खण्ड की, तृणसम निरर्थक मानकर।
तुम्हें कौन -सा रंग लगाऊँ तुम्हें कौन -सा रंग लगाऊँ
प्यारा सजा दरबार मां तेरे भवन में आऊं देखूं मूरत में तेरी चरणों में शीश झुकाऊं। प्यारा सजा दरबार मां तेरे भवन में आऊं देखूं मूरत में तेरी चरणों में शीश झुका...
सेना ने यह संकल्प लिया सेना ने यह संकल्प लिया
तूने क्या कह दिया, वो रूठ गया, "उड़ता" जा उससे मांग माफ़ी लें। तूने क्या कह दिया, वो रूठ गया, "उड़ता" जा उससे मांग माफ़ी लें।