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Rashmi Prabha

Classics

4.5  

Rashmi Prabha

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होनी तो काहू विधि ना टरे

होनी तो काहू विधि ना टरे

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राम का राज्याभिषेक 

हर्ष में डूबी पूरी अयोध्या 

दिग्गज मुनिगण 

पवित्र तीर्थस्थलों के जल 

कौशल्या का विष्णु जाप ....


तिथि,शुभ समय निकालनेवाले 

ज्ञानी और तेजस्वी 

किसी ने नहीं बताया 

कि सुबह की किरणों के साथ 

सम्पूर्ण दृश्य पलट जायेगा 

राम,सीता,लक्ष्मण वन को प्रस्थान करेंगे 


दशरथ की मृत्यु होगी 

तीनों रानियाँ वैधव्य को पाएंगी 

उर्मिला 14 वर्ष पति से दूर होंगी 

भरत के प्रण के आगे मांडवी भी अकेली होंगी !!!......


रावण वध के लिए 

इतनी सारी व्यवस्थाएं डगमगायीं 

माता सीता भी रावण की अशोक वाटिका में रहीं

राम से अलग 

अग्नि परीक्षा देकर भी वन गयीं .....

 

राजा दशरथ के कुलगुरु वशिष्ठ 

उन्हें तो श्रवण के माता-पिता की मृ

त्यु का भान 

अवश्य ही रहा होगा 

श्राप, मृत्यु, राम वन गमन से

वे अनभिज्ञ नहीं रहे होंगे 

तो किस हेतु उन्होंने आगाह नहीं किया ?


आगत को टालना तो उनके लिए

अति आसान रहा होगा फिर ?

क्या इससे यह स्पष्ट नहीं होता 

कि आगत को आने से रोकना 

इस असंभव को संभव बनाने की कोशिश 

सर्वथा अनुचित कार्य है 

जो ईश्वर ने निर्धारित किया है 

उसे आम मनुष्य के शरीर में मानना 

तो स्वयं प्रभु के लिए भी अनिवार्य है ...


जब प्रभु ने पिता की मृत्यु को मौन स्वीकृति दी

माताओं का वैधव्य स्वीकार किया 

सीता को रावण के हवाले किया 

उर्मिला, भरत, मांडवी को वियोग दिया ......


फिर क्या कर्मकांड

क्या चेतावनी !

ईश्वर ने जो सोच रखा है 

उसमें विघ्न क्यूँ !

होनी तो काहू विधि ना टरे ...


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