चमक
चमक
राख के ढेर में,
क्या तलाशा कीजे,
चाहतें तिलिस्म हैं,
ना सँवारा कीजे|
रूठ के जाने से,
पहले उसे रोका कीजे,
जो ना लौटा तो,
गिला किससे कीजे|
आंख का भींगना मामूली,
ना आंका कीजे,
वह जो छलका है अनमोल,
उससे ना सौदा कीजे|
रिश्तें हैं, वक्त जरा मांगेंगे;
घड़ी दिखाके जरा उठा ना कीजे,
बड़े नाजुक हैं, कांच से बिखरेंगे;
जरा मेहनत से सँवारा कीजे|