STORYMIRROR

दयाल शरण

Classics Inspirational

5.0  

दयाल शरण

Classics Inspirational

चमक

चमक

1 min
300


राख के ढेर में,

क्या तलाशा कीजे,

चाहतें तिलिस्म हैं,

ना सँवारा कीजे|


रूठ के जाने से,

पहले उसे रोका कीजे,

जो ना लौटा तो, 

गिला किससे कीजे|


आंख का भींगना मामूली, 

ना आंका कीजे,

वह जो छलका है अनमोल, 

उससे ना सौदा कीजे|


रिश्तें हैं, वक्त जरा मांगेंगे;

घड़ी दिखाके जरा उठा ना कीजे,

बड़े नाजुक हैं, कांच से बिखरेंगे;

जरा मेहनत से सँवारा कीजे|


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics