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दयाल शरण

Classics Inspirational

5.0  

दयाल शरण

Classics Inspirational

चमक

चमक

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राख के ढेर में,

क्या तलाशा कीजे,

चाहतें तिलिस्म हैं,

ना सँवारा कीजे|


रूठ के जाने से,

पहले उसे रोका कीजे,

जो ना लौटा तो, 

गिला किससे कीजे|


आंख का भींगना मामूली, 

ना आंका कीजे,

वह जो छलका है अनमोल, 

उससे ना सौदा कीजे|


रिश्तें हैं, वक्त जरा मांगेंगे;

घड़ी दिखाके जरा उठा ना कीजे,

बड़े नाजुक हैं, कांच से बिखरेंगे;

जरा मेहनत से सँवारा कीजे|


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