आराध्य क्यों
आराध्य क्यों
कोई आराध्य क्यों
जो अदृश्य होकर भी
एहसास दिलाता है
एक शक्ति का, एक विश्वास का
एक सहारा, सबसे प्यार का
केवल मौन!
न कोई शिकायत
न कोई फ़रमाइश,
न दुःख में दुःखी
न सुख में उत्साहित,
केवल तटस्थ, शांत
प्रति मूर्ति-सा
आराध्य है वो!