इस जीवन
इस जीवन
प्रेम को बहुतों ने लिखा है,
मैं व्याध में लिखूँगा|
मैं तुम्हारे मन के
दर्द को लिखूँगा|
लम्हों, रिश्ते-नातों से
कह दूँगा,
मिलूँगा उनसे,
कभी किसी और बरसातों में|
कह दूँगा कि उन्हें,
फिर कभी मिलूँगा,
इस जीवन में
मैं बस राधा का रहूँगा|
तुम्हें
लिखने में,
तुम्हें,
समझने में,
इस बार तुम्हें भीड़ में नहीं,
एकांत में नहीं,
ना ही किसी बिहर
वीरान में,
मैं देखूँगा
तुम्हें,
बस अपने
प्राण में|
मैं लिखूँगा तुम्हें
रात की बात में,
अधूरे अल्फाज में,
तुम्हारी चाह में,
मैं लिखूँगा
तुम्हें
हर दर्द, हर उम्मीद
हर एहसास में|
और कह दूँगा सबसे,
हर हाल में,
इस जीवन बस
राधा रहेगी, मेरे प्राण में!!