मुझे कोई शिकायत नहीं
मुझे कोई शिकायत नहीं
बेशक चाहत हो मेरी इनायत नहीं
ये मशवरा है कोई हिदायत नहीं
जो भी है सिर्फ खुद से है
किसी और से मुझे कोई शिकायत नहीं
जितना सहते हैं हम उतना कहते नहीं
सुन लेते हैं सब कुछ और कुछ कहते नहीं
अपनी बदकिस्मती का अंदाजा है हमें
जिनको अपना कहते हैं वो फिर अपना रहते नहीं
जितनी तकलीफ में लोग रोने लगते हैं
उतने में तो हम उफ्फ तक कहते नहीं
दास्तां सुनाएंगे तो मजाक ही उड़ाएंगे लोग
बेहतर है मुस्कुरा देते हैं और कुछ कहते नहीं
चेहरा क्या बयां करेगा दास्ताँ हमारी
जो दिल पर गुजरती है वो दिल जाने होंठ तो कुछ कहते नहीं
उसने कैसे सब कुछ मुझसे छुपकर बदला
रास्ता बदला नंबर बदला और फिर घर बदला
मैं उस शख्स के बारे में दूसरों से कहती थी
मेरा नाम बदल देना अगर वो शख्स बदला

