STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

4  

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

मुझे कोई शिकायत नहीं

मुझे कोई शिकायत नहीं

1 min
202

बेशक चाहत हो मेरी इनायत नहीं

ये मशवरा है कोई हिदायत नहीं 

जो भी है सिर्फ खुद से है 

किसी और से मुझे कोई शिकायत नहीं


जितना सहते हैं हम उतना कहते नहीं 

सुन लेते हैं सब कुछ और कुछ कहते नहीं 


अपनी बदकिस्मती का अंदाजा है हमें 

जिनको अपना कहते हैं वो फिर अपना रहते नहीं 


जितनी तकलीफ में लोग रोने लगते हैं 

उतने में तो हम उफ्फ तक कहते नहीं


 दास्तां सुनाएंगे तो मजाक ही उड़ाएंगे लोग

 बेहतर है मुस्कुरा देते हैं और कुछ कहते नहीं


 चेहरा क्या बयां करेगा दास्ताँ हमारी

 जो दिल पर गुजरती है वो दिल जाने होंठ तो कुछ कहते नहीं


उसने कैसे सब कुछ मुझसे छुपकर बदला 

रास्ता बदला नंबर बदला और फिर घर बदला 


मैं उस शख्स के बारे में दूसरों से कहती थी

मेरा नाम बदल देना अगर वो शख्स बदला 

                           


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance