मुहब्बत तुमसे
मुहब्बत तुमसे
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मैं तुमसे बेइंतहा
मुहब्बत करता रहा
जब तुम छोड़ के चली गईं
तब भी जब कुड़माई हुई।
तुम्हारी तब भी
जब निक़ाह हुआ तब भी
जब फूलों की सेज पे
सज के बैठी होगी
किसी और के सामने तब भी।
जब तुमने चाय किसी और के
मुताबिक घोली होगी तब भी।
जब तुमने लाल जोड़े में
चेहरा साफ किया होगा तब भी।
जब रूह को किसी और ने
चूमा होगा तब भी
जब लहराता आँचल किसी और ने
थाम लिया होगा तब भी।
जब गर्भ में एक नन्हे को
रखोगी तब भी
मैंने सोचा ही नहीं कभी
तुमसे मुहब्बत कब नहीं करूँगा
अब बस थोड़ी थोड़ी
करके कम करूँगा।