मुहब्बत का सिला
मुहब्बत का सिला
दुनिया के हर शख़्स को
गर एक मौका मिल जाए।
तो चाहेगा, सफ़ा कोई एक
ज़हन से उसके मिट जाए।।
नहीं ख़्वाहिश है भूले से
वो यादें याद रखने की।
नहीं थी अक्ल रत्ती भर
किसी को भी परखने की।।
जो ख़ुद के हाथ में होता तो
बोलो क्या गिला होता ?
मिटा सकता अगर मैं कुछ
'मुहब्बत' का सिला होता !