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AKIB JAVED

Drama

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AKIB JAVED

Drama

मुहब्बत जिलाये मुहब्बत ही मारे

मुहब्बत जिलाये मुहब्बत ही मारे

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फ़लक से पुकारें हमें चांद-तारे

वो नज़रों से करते हैं हमको इशारे।


उठा आज सीने में तूफाँ हमारे

किसी ने निगाहों से फिर तीर मारे।


ख़ता दिल की जो हो बताओ ज़रा तुम

ग़ुनाह बख़्श भी दो ख़ुदारा हमारे।


ज़माने में तुमने क्यों ठुकरा दिया है

कभी हम तुम्हारे थे तुम थे हमारे।


गिला ज़िन्दगी से करें भी तो क्योंकर

मुहब्बत जिलाये मुहब्बत ही मारे।


महक़ ज़िंदगी में है आने से उसके

कभी नाम लेके वो मुझको पुकारे।


जगाई है हमने भी चाहत दिलो में

मग़र शर्त ये है कि दिल से पुकारे।


जरा तू फ़लक से नज़र भी हटाले

ज़मी में बहुत से मिलेंगे सितारे।


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