मस्त-मस्त सी मेरी प्रिय
मस्त-मस्त सी मेरी प्रिय
मस्त-मस्त सी आँखें प्रिय, मस्त-मस्त से होंठ प्रिय।
मध्यम-मध्यम धड़कन तेरी,नयन कंटीले विशाल प्रिय।
पलकें तेरी विजय पताका, और भौंह तेरा अभिमान प्रिय।
मस्त-मस्त से कन्दुक कपोल, अति काली घटा से केश प्रिय।
हैं अद्भुत तेरे वक्ष हिमालय, और मध्यम-मध्यम स्वास प्रिय।
ग्रीवा तेरी शंख नाद है, कंठक है तेरा प्रिय गान प्रिय।।
तुम हो मेरी मृग नयनी, तू हृदय की सघन उपवन हो प्रिय।
तुम ही मेरी सखी-सहेली, मैं तेरा वृहत अभिमान प्रिय।
तुम ही हो साकार हे प्रिय!, और मैं तेरा सर्वेश प्रिय।।