मशहूर
मशहूर
एक अदब है,
उसकी अदायगी में,
कि वो बेअदब है,
हर दीवानगी से,
उसको मनाना कोई
बड़ी बात नहीं,
मगर वो मान जाये
यह आसान भी नहीं,
वो मुफ्तिला सा लगता है,
अपने ही आप से,
और लोग चाहते है उसको
कुछ बेहिसाब से,
उसकी मुस्कुराहट बनावटी ही सही,
पर ग़म को छुपाती है,
वो उदासी को अपनी
मुस्कुराहट में छुपाने का हुनर रखता है,
काश! अपने दिल में ज़रा सब्र रखता,
और इत्मीनान से बैठकर
कभी अपने बारे में सोचता,
तो उसे पता चलता,
वो दुनिया में होकर भी,
दुनियादारी से दूर है,
वो कुएं का मेंढक है,
और उसी कुएं में मशहूर है,
उसको दुनिया जितनी है,
तो कुएं से बाहर झांकना होगा,
और भी बहुत से रास्ते है,
जिनपर उसे भागना होगा।