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मोहब्बत

मोहब्बत

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कभी पढ़ लेना मुझे फुर्सत में,

मगर अपने ही ख्यालों में,

दिखाई दूँगा मगर ख्वाबों में,

सुनाई भी दूँगा सिर्फ ख्वाबों में,

ढूँढ़ना मत कभी भी किताबों में,

मैं मिलूँगा तुम्हें सिर्फ ख्वाबों में !


ये जो तड़प है न मुझे पाने की,

कभी ख्वाहिश न रखना जिंदगी गवाने की,

तुम्हें खा जाएँगे ताने जमाने के,

पता रखना मत कभी फ़क़ीर के टिकाने की,

दर-ब-दर रहता हूँ मैं,

छुपा के रखना मुझे निगाहों में,

मैं मिलूँगा तुम्हें सिर्फ ख्वाबों में !


मुझ जैसा मिले तो हिचकना मत,

अपना लेना मुझे समझकर,

जब कभी मेरी याद आये तो,

देख लेना आसमान में,

चमकता दिखाई दूँगा हजारों में,

मुझे देखना मत चाँद के करीब सितारों में,

मैं मिलूँगा तुम्हें सिर्फ ख्वाबों में !


खतों को जला देना रखना मत सजा के,

मेरी यादों को मिटा के हर तोहफ़े जला के,

खुश रहना तुम हर एक ग़म भुला के,

यादों की तस्वीरों को कैद मत करना दिल के दीवारों में,

कोशिश मत करना पढ़ने की किताबों में,

मैं मिलूँगा तुम्हें सिर्फ ख्वाबों में !


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