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पहला प्यार

पहला प्यार

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तू समंदर सी

मैं किनारों सा

तू फूल नाज़ुक सी

मैं तुझ में लगा काटों सा

तू बरखा सावन सी

मैं बरसता बारिश की बूँदों सा

तू चमकती रौशनी सी

मैं चमकता सितारों सा

तू मंज़िल की राहों सी

मैं भटकता मुसाफिर सा

तू दर्द सहती कागज़ सी

मैं दर्द कुरेदता कलम सा

तू बाजारों के दुकानों सी

मैं बिकता समानों सा

तू घर की छज्जे सी

मैं घर की दीवारों सा

तू छपती खबरों सी

मैं बिकता अखबारों सा

तू ठहरी सब्र सी मैं रहता जिद्दी सा

मगर तू मेरी ही जिंदगी है


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