मोहब्बत
मोहब्बत


मोहब्बत वो नहीं जो कि भ्रमर करता है कलियों से
मोहब्बत में जिसे हर दिल ने है पागल बना डाल
मोहब्बत तो पपीहे की तड़प की कशमकश में है
जिसे स्वाती की बूंदों ने मरुस्थल सा बना डाला
मोहब्बत वो समन्दर है समा जाये जो आँखों में
बनाकर अश्क के मोती नयन दिल में सजा डाला
मोहब्बत तो दिलो के साज का पावन सा नगमा है
समर्पण से भरे इस साज को सुर में सजा डाला
मोहब्बत में कहाँ होती दिले दुशवारियाँ अपनी
बनाकर अश्क नयनों का जिसे दिल से मिटा डाला
मोहब्बत तो परम पावन कहानी है समर्पण की
समर्पण में जहाँ गैरों को भी अपना बना डाला !!