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Shahnaz Rahmat

Romance Tragedy

4.8  

Shahnaz Rahmat

Romance Tragedy

मोहब्बत को बदल दो

मोहब्बत को बदल दो

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460


तुम बदलना चाहते हो ना!

तुम बदल दोगे ना!

एक मोहब्बत भरे दिल से,

मेरे मोहब्बत भरे दिल को

अच्छा चलो जाओ तुम वो

दिल ले कर आओ

जिसमें मेरे जज़्बों जैसी गहराई हो,

मेरे इश्क की पाकीज़गी और सच्चाई हो

तुम एक नया दिल आओगे

किसी अनजान महबूबा से

अपने दिल को बहलाओगे

लेकिन एक बात तुम ही बताओ मुझे

वह रूह कहांँ से लाओगे जो

अज़ल से तुम पर आशिक है

तुम कैसे वो दिल लाओगे

तुम कहाँ से वो दिल लाओगे

जिसमें सच्चे जज्बातों की

लहरें अठखेलियां करती हैं

उन जज्बों की सच्चाई पर

मोती भी तो शरमाते हैं

इतनी शिद्दत से प्यार तुम्हें

क्या कोई करने वाला है

फिर भी तुम कब ये समझते हो

तुम कब ये समझना चाहते हो

के इश्क़ मोहब्बत चीज़ है क्या?

दो पल की झूठी मोहब्बत क्या

और बचपन का वो इश्क है क्या

दोनों एक तो नहीं हो सकते ना

हाँ कभी नहीं

लेकिन तुम्हें ज़िद है कि प्यार उससे नहीं करना,

जो तुम्हें प्यार करता है सदियों से

शिद्दत से बस प्यार ही करता है वह

मेरे मेहबूब तुम बदलना चाहते हो ना

तुम बदल दोगे ना

एक मोहब्बत भरे दिल से,

इस दिल को

एक जान से एक जान को

तो चलो जाओ, बदल दो

मैं तो उस आखिरी दिन के इंतजार में हूँ

जब मैं खुदा से पूछूंगी खुदा तूने

ऐसे इंसान की मोहब्बत मेरे दिल में क्यों डाली

जिसे मेरे जज़्बो की कद्र ही ना हो!


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