मौत की आखरी हिचकी
मौत की आखरी हिचकी


तेरी जुदाई का दर्द
तेरी बेरुखी का सदमा
बहुत खतरनाक है यह दर्द,
जिसे मैं महसूस करती हूं
बड़ी शिद्दत से।
ये दर्द मुझे
मौत की उस दहलीज पर
ले जाता है
जहांँ से आखरी हिचकी
बस दो पल ही दूर होती है।
मेरी आँखों में तेरा चेहरा
छिपा रहता है
तेरे पास ना होने का गम
मुझे बस खत्म ही
कर देना चाहता है,
कि मुझे याद आता है
तेरा वह चेहरा,
तेरी वह शख्सियत
जिससे मैंने मोहब्बत की है,
बेपनाह महोब्बत की है।
वह पाक रुह,
वह फरिश्ता सिफ्त इंसान,
मेरे ख्वाबों का वही शहजादा,
मेरे पास खड़ा
मुस्कुरा रहा होता है,
और मैं फिर से
आँखों में एक नई उम्मीद लिए
जी उठती हूँ,
दिल कहता है तू कभी तो आएगा !
कभी तो समझेगा !
मेरी मोहब्बत के इन
विशेष लम्हों को,
जो सदियों से मुझे
ले जाते रहे हैं,
मौत की उस दहलीज
तक जहाँ से आखरी हिचकी
दो पल ही दूर होती है।।