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मोहब्बत का इशारा

मोहब्बत का इशारा

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लबों से तुमने कभी

अपना इजहार न जताया,

मोहब्बत तो की तुमने

पर कभी प्यार न दिखाया !


आँखें झुका लीं जो मैं

कभी तुम्हारे सामने आया,

हया का पर्दा अपना तुमने

अब तक न उठाया !


खामोशी जो लबों पे

कर रखी अब तक

इख़्तियार तुमने,


क्या इसी को मैं समझूँ

अब तुम्हारी

मोहब्बत का इशारा !


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