STORYMIRROR

Manish Kumar Srivastava

Tragedy

4  

Manish Kumar Srivastava

Tragedy

मोहब्बत हमारी जुदा हो गयी

मोहब्बत हमारी जुदा हो गयी

1 min
405

कहानी अधूरी रह गयी

मोहब्बत हमारी जुदा हो गयी


वो कहीं ओझल हो गयी

आँखें भारी हो गयी


खुशियों की दुनिया सिमट गयी

आंसुओं की नदियां बह गयी


चहक के गले में लिपट गयी

वो प्यार की रितु निकल गयी


जिंदगी की हंसी खो गयी

न जाने कहाँ वो खो गयी


आँख मिचौली कर चली गयी

दुनिया हमारी बदल गयी


नींदों पे ताला लगा गयी

दुपट्टे में आत्मा बाँध ले गयी


दिल को चुरा कर चली वो गयी

ज़माने की हमको नज़र लग गयी


हसरत अधूरी रह गयी

मोहब्बत हमारी जुदा हो गयी


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy