Manish Kumar Srivastava
Tragedy
रजाई ओढ़े
सिकुड़ कर सोये-
पूस की रात
जरा अवस्था
सिकुड़ रहीं खालें-
कातर आँखें
वक्त की बात-
माथे पे सिलवटें
जिन्दगी थाह
खो रहे प्यार
सिकुड़ रहे रिश्ते-
पाश्चात्य रीति
लाचार व्यक्ति
छिपी हुई गरीबी-
सिलवटों में।
वर्षा ऋतु में...
बच्चों का एम ...
प्रकृति पर हा...
मोहब्बत हमारी...
पढ़ते पूरी रात...
कुछ हाइकु
नव बसन्त
अंदर ही अंदर घुटती रहती हूँ ... अक्सर कई जुल्म मैं सहती रहती हूँ। अंदर ही अंदर घुटती रहती हूँ ... अक्सर कई जुल्म मैं सहती रहती हूँ।
आज एक सक्षम इंसान बन गए हम धोखा हर मोड़ पर है संभाल कर क़दम उठाओ जी। आज एक सक्षम इंसान बन गए हम धोखा हर मोड़ पर है संभाल कर क़दम उठाओ जी।
एक चमकती रोशनी का घना साया मेरे ऊपर मँडराया, एक चमकती रोशनी का घना साया मेरे ऊपर मँडराया,
लड़की की सांसे रुक जाएंगी... फिर सरकार उसको मुआवजा दिलाएगी .. लड़की की सांसे रुक जाएंगी... फिर सरकार उसको मुआवजा दिलाएगी ..
जब टूटते पत्ते हवा में सरसरायेंगे, तब बनके अश्क़ हम तेरी आँखों में आयेंगे। जब टूटते पत्ते हवा में सरसरायेंगे, तब बनके अश्क़ हम तेरी आँखों में आयेंगे।
नारी की रक्षा का प्रहरी, सुरक्षित भारत अब कहाँ हैं नारी की रक्षा का प्रहरी, सुरक्षित भारत अब कहाँ हैं
हो गए अमर गाथा सुनेगी तुम्हारी यहां, हुआ देव तुल्य तुम्हारा अवतार है। हो गए अमर गाथा सुनेगी तुम्हारी यहां, हुआ देव तुल्य तुम्हारा अवतार है।
ख्वाहिश थी मेरी आसमां सारा छूने की, पर तुमने रौंदने की कोशिश तमाम की। ख्वाहिश थी मेरी आसमां सारा छूने की, पर तुमने रौंदने की कोशिश तमाम की।
धरती, अम्बर, समुद्र में, सिंह सी तुम हुंकार भरो! धरती, अम्बर, समुद्र में, सिंह सी तुम हुंकार भरो!
घूमते रहेंगे यहां वहां, अपने ही देश में शरणार्थी बन कर। घूमते रहेंगे यहां वहां, अपने ही देश में शरणार्थी बन कर।
तुम क्या जानो दर्द एक डॉक्टर की मां का, जी उसका घबराता था, तुम क्या जानो दर्द एक डॉक्टर की मां का, जी उसका घबराता था,
कहीं आपकी बेटी या बहन उस मुसीबत में ना पड़ जाए सोच बदलो देश बदलेगा । कहीं आपकी बेटी या बहन उस मुसीबत में ना पड़ जाए सोच बदलो देश बदलेगा ।
उस काली अँधेरी रातों से, उजाला छीनकर लाना है। उस काली अँधेरी रातों से, उजाला छीनकर लाना है।
हां मैं मजदूर हूं हां मैं आज पैदल चलने केलिए मजबूर हूं। हां मैं मजदूर हूं हां मैं आज पैदल चलने केलिए मजबूर हूं।
ये बरसों पुरानी बात थी वो सर्द-सी एक रात थी। ये बरसों पुरानी बात थी वो सर्द-सी एक रात थी।
दूसरों की मदद करने वाले आज खुद की परिस्थिति से जूझ रहे। दूसरों की मदद करने वाले आज खुद की परिस्थिति से जूझ रहे।
फिर माँ की कोख में क्यूँ एक कन्या को मारा जाता है जहाँ नारी ने नर को जन्म दिया, फिर माँ की कोख में क्यूँ एक कन्या को मारा जाता है जहाँ नारी ने नर को जन्म दिय...
पूर्व मे जब होता था विवाह, बेटी के पिता खुशी से, जमाई को देते उपहार। पूर्व मे जब होता था विवाह, बेटी के पिता खुशी से, जमाई को देते उपहार।
अर्थव्यवस्था सीखो उनसे, धन को वे कैसे बचाते हैं! अर्थव्यवस्था सीखो उनसे, धन को वे कैसे बचाते हैं!
तेरे रौशनाई में चमके वो उसे मंजूर नहीं तेरे सिलवटों से काटों की चुभन होती है! तेरे रौशनाई में चमके वो उसे मंजूर नहीं तेरे सिलवटों से काटों की चुभन होती है!