Manish Kumar Srivastava
Abstract
प्रकृति बांटे
अमूल्य उपहार-
जन जीवन
मनुष्य चाहे
वस्त्र और अनाज-
प्रकृति प्यार
सुंदर दृश्य
स्वच्छ जलधारा-
नदी किनारा
श्वेत बर्फ से
ढंके हुए पहाड़-
पर्वतारोही
वर्षा ऋतु में...
बच्चों का एम ...
प्रकृति पर हा...
मोहब्बत हमारी...
पढ़ते पूरी रात...
कुछ हाइकु
नव बसन्त
आँखमिचौली, चोर-सिपाही, हम करते थे, हर खेल चयन । क्या मजे थे गिल्ली-डंडे में, मुट्ठी में कैद संपूर... आँखमिचौली, चोर-सिपाही, हम करते थे, हर खेल चयन । क्या मजे थे गिल्ली-डंडे में, ...
वो यादें अब भी दिमाग़ को सुकून दे जाती हैं, बचपन, तेरी बहुत याद आती है ! वो यादें अब भी दिमाग़ को सुकून दे जाती हैं, बचपन, तेरी बहुत याद आती है !
ना घमंडी वक़्त रुका, ना हम चलते गये वक़्त जैसे... ना घमंडी वक़्त रुका, ना हम चलते गये वक़्त जैसे...
ऐसा भी कभी होता है ...... घोर -घोर बवंड़र चलते , उथल मचने दुनिया में , मैं गहराई में छिप जाती हूँ ... ऐसा भी कभी होता है ...... घोर -घोर बवंड़र चलते , उथल मचने दुनिया में , मैं गहर...
ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है। ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है।
बहती हुई धीरे-धीरे मौत की साहिल पे उम्र की कश्ती है। बहती हुई धीरे-धीरे मौत की साहिल पे उम्र की कश्ती है।
जीवन, साँसें सब प्राण मन तुझे अर्पण स्वीकृत करो हे ! हे ! हे ! जननी जननेयती भावमय विकलितम शत ... जीवन, साँसें सब प्राण मन तुझे अर्पण स्वीकृत करो हे ! हे ! हे ! जननी जननेयती ...
कभी पतझड़ सा और कभी बसंती तड़ाग है। कभी पतझड़ सा और कभी बसंती तड़ाग है।
आज का शो बिलकुल ह्रदय को छू लिया ! हमने भी अश्रुधरा को अवाधगति से बहने दिया ! आज का शो बिलकुल ह्रदय को छू लिया ! हमने भी अश्रुधरा को अवाधगति से बहने ...
भव्य भगवद्गीता देता है ब्रह्मज्ञान का यही श्लोक। भव्य भगवद्गीता देता है ब्रह्मज्ञान का यही श्लोक।
आंरभ से अंत का सफर तय करता है.......। आंरभ से अंत का सफर तय करता है.......।
ध्यान से देखना कभी, वो शायद आगे नहीं पीछे जा रहा है। ध्यान से देखना कभी, वो शायद आगे नहीं पीछे जा रहा है।
दिल की है भावनाएं बहुत प्यारी लगती हैं। दिल की है भावनाएं बहुत प्यारी लगती हैं।
गौरव की बात मेरे लिए हम कहलाते भारतीय हैं...। गौरव की बात मेरे लिए हम कहलाते भारतीय हैं...।
नदी कहीं खो गई नदी कहीं है ही नहीं अब हर ओर सागर ही सागर है निरा खारा खारा सागर। नदी कहीं खो गई नदी कहीं है ही नहीं अब हर ओर सागर ही सागर है निरा खारा ...
मुझे महज एक वस्तु मत समझना व्यंग बाणों का घातक प्रहार भी सहती हूँ। खिलौना नही हूँ मैं! मुझे महज एक वस्तु मत समझना व्यंग बाणों का घातक प्रहार भी सहती हूँ। खिलौना नह...
कुछ ख्वाहिशें पूरी हो जाती है तो कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही रह जाती हैं। कुछ ख्वाहिशें पूरी हो जाती है तो कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही रह जाती हैं।
चाहे जितनी ऊँची उड़ो पर ओझल, ना होने देना धरती के आंचल को... चाहे जितनी ऊँची उड़ो पर ओझल, ना होने देना धरती के आंचल को...
क्या जिंदगी में ऐसा नहीं ? जीने ,कुछ करने की , कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा पर फिर बंध जाते हैं... क्या जिंदगी में ऐसा नहीं ? जीने ,कुछ करने की , कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा ...
नीलम नीलवर्ण से बादल, प्रेयसी के हलकारे बादल। नीलम नीलवर्ण से बादल, प्रेयसी के हलकारे बादल।