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Manish Kumar Srivastava

Children Stories

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Manish Kumar Srivastava

Children Stories

पढ़ते पूरी रात सारी

पढ़ते पूरी रात सारी

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किताबों से भरी आलमारी

देती सुकून भारी

बुक मार्केट में रहती मारा मारी

किताबों की खोज जारी

ख़्वाबों को हकीकत में बदलने की तैयारी

पढ़ते पूरी रात सारी

आदर्श वाक्यों की मिसाल जारी

कमरे में सिमटी दुनिया सारी

चर्चा परिचर्चा होती रहती रात सारी

कल्पना बड़ी भारी

विश्व क्षितिज पर उड़ने की तैयारी

पढ़ते पूरी रात सारी

मम्मा पापा का लाड़ला करता तैयारी

ममता का आँचल करता रखवारी

दुनिया में उड़ने की आयी अब बारी

प्रतियोगिताओं की होड़ ज़ारी

स्वयं से बेखबर पूरी दुनिया की जानकारी

पढ़ते पूरी रात सारी

इस मायावी लोक की बातें बड़ी न्यारी

कर्म और किस्मत का टकराव जारी

फ़ैशन का मिजाज भी बदलता बारी बारी

प्यार का अंकुर भी संग-संग जारी

करतब दिखाने की होती तैयारी

पढ़ते पूरी रात सारी



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