मोहब्बत : एक़ अहसास
मोहब्बत : एक़ अहसास
ये कैसा ख़ुशनुमा अहसास है
जो थोड़ी सी गुदगुदा रही है .
दिल की सारी नसें सिर्फ़ उनके
ख़यालों में खोती जा रही हैं
संभालने कीं क़ोशिश कर रहा ये दिमाग़
पर अब वो भी
खुद को ही अंजान लग रहा .
यूँ ख़यालों के अरमा मचल रहे हैं
बस उनकी गहरी आखों में डूब जाने को दिल मजबूर हुआ जा रहा है
उनकी धड़कने भी अब अपने अंदर महसूस हो रही है
ये क्या हो रहा मुझको ?
जहां खुद पे खुद का ज़ोर न चल रहा है
अब तो इतनी फ़रियाद है तुझसे ए ख़ुदा
अब तू ही उनको हमारे दिल
का हाल सुना दे ..
लोग हमें पागल क़रार दे
उससे पहले तू हौले से उस अहसास की पनाह में फ़ना होने की हिम्मत तो दे दें ..!
फ़िर से तू भी ये मत कहना
ये वही सुर्ख़ मोहब्बत का अहसास है मेरी जाँ
जा तू भी मोहब्बत को मोहब्बत से मिलने की इजाज़त दे दे !!