मोबाइल का दुरुपयोग कंचन प्रभा
मोबाइल का दुरुपयोग कंचन प्रभा
आज के दौड़ में ये खाश हो गये है।
मोबाइल के घर घर में बास हो गये है।
जरूरी काम से बढ़ कर काम बेकार होने लगे है।
रिश्ते अब मोबाइल में ही बन्द हो कर रह गये है।
बहुत से झूठ वायरल हो रहे है।
वायरल मैसेज यहाँ दंगे कर रहे है।
गलियों के तेंदुलकर अब दिखते कहीं नहीं है।
मोबाइल के कारावास में बच्चे बन्द हो गये है।
दस लोग एक ही घर में गूंगे बन गये हैं।
चैटींग करके हर बात पूछने लग गये हैं।